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रेड रोड पर ईद की नमाज़ पर अनिश्चितता, सेना ने अनुमति देने से किया इनकार

यह आयोजन राज्य में होने वाली सबसे बड़ी सार्वजनिक नमाज़ में से एक होता है, जिसमें लाखों लोग शिरकत करते हैं। लेकिन इस बार सेना द्वारा अनुमति न मिलने के कारण आयोजन पर असमंजस की स्थिति बन गई है।

01 Jun 2025

रेड रोड पर ईद की नमाज़ पर अनिश्चितता, सेना ने अनुमति देने से किया इनकार

कोलकाता। महानगर कोलकाता में हर वर्ष की भांति इस बार भी ईद-उल-जुहा के मौके पर रेड रोड (इंदिरा गांधी सरणी) पर भव्य नमाज़-ए-ईद का आयोजन प्रस्तावित था। यह आयोजन राज्य में होने वाली सबसे बड़ी सार्वजनिक नमाज़ में से एक होता है, जिसमें लाखों लोग शिरकत करते हैं। लेकिन इस बार सेना द्वारा अनुमति न मिलने के कारण आयोजन पर असमंजस की स्थिति बन गई है।

विजय‌ दुर्ग के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के अधीन कार्यरत एक कर्नल द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में सूचित किया गया है कि ईद-उल-जुहा के दौरान रेड रोड एवं उसके आसपास का क्षेत्र "सैन्य उपयोग" में रहेगा। इस कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर विजय‌ दुर्ग के ईस्ट गेट तक फैले क्षेत्र में किसी भी प्रकार के धार्मिक या सार्वजनिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती।

कोलकाता खिलाफत कमिटी, जो लगभग एक सदी से अधिक समय से रेड रोड पर ईद की नमाज़ आयोजित करती आई है, ने सेना के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। कमिटी का कहना है कि पिछले वर्ष भी ऐसी ही परिस्थिति बनी थी, लेकिन मामला उच्च न्यायालय तक गया और कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि दशकों से यह आयोजन शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से होता आया है, अतः इसे रोका नहीं जा सकता।

राज्य के मंत्री और खिलाफत कमिटी के अध्यक्ष जावेद अहमद खान ने बताया कि सेना की चिट्ठी उन्हें प्राप्त हो चुकी है। इस पर विशेष बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगामी कदमों पर चर्चा की जाएगी। खिलाफत कमिटी का इतिहास भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना शौकत अली और महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुए खिलाफत आंदोलन की विरासत को यह संगठन आज भी जीवित रखे हुए है। कोलकाता की ईद की नमाज़ सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की प्रतीक रही है, जिसमें राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल होते हैं।

रेड रोड पर हर वर्ष लाखों लोगों की मौजूदगी वाला यह आयोजन अब या तो किसी अन्य स्थान पर आयोजित किया जा सकता है या फिर कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से पुनः अनुमति लेने का प्रयास किया जा सकता है।

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